याली ड्रीम्स की अँग्रेजी में प्रकाशित और प्रशंसित ग्राफिक नॉवेल कारवाँ अब हिंदी में उपलब्ध हो गयी है। आजकल के सभी नए कॉमिक्स प्रकाशक अपनी किताबें अँग्रेजी में ही प्रकाशित करते है। यह उनकी विवशता है, क्योंकि नए प्रकाशक के पास उत्तम कहानी और चित्रांकन तो है, परंतु प्रकाशित पुस्तकों के वितरण का उपयुक्त साधन नहीं है। उन्हें कॉमिक कान या फिर ऑनलाइन स्टोर्स पर निर्भर रहना पड़ता है। फिर उत्तम श्रेणी की कहानी, कला एवं रूप-सज्जा देने पर पुस्तक का मूल्य भी अधिक होता है। हिंदी में पाठकों की संख्या तो है, परंतु अधिक पैसे खर्च करके नए प्रकाशक की कॉमिक्स लेने वाले पाठक कम है। ऊपर से बिना देखे, ऑनलाइन खरीदने वाले तो और भी कम है। ऐसे में अँग्रेजी के पाठक तुलनात्मक रूप से अधिक हैं। यही कारण है कि आज हरेक प्रकाशक अँग्रेजी में ही अपनी कॉमिक्स प्रकाशित कर रहा है। भले ही कहानियाँ शुद्ध देशी है, पर भाषा विदेशी है। यह एक विडंबना है, जिसे आज प्रकाशक और हिंदी पढ़ने वाले पाठक, दोनों को झेलना पड़ता है।
ऐसा नहीं है कि हिंदी में कॉमिक्स एकदम प्रकाशित नहीं होती। राज कॉमिक्स आज भी हिंदी में कॉमिक प्रकाशित करते है। परंतु उनके किरदार पहले से स्थापित है। सुपर हीरो है। उनका पाठक वर्ग बना हुआ है। और सबसे बड़ी बात, उनके पास अपनी किताबों को हर जगह पहुँचाने की सुविधा भी है। पर बस एक ही प्रकाशक है, पाठकों के पास कोई और विकल्प नहीं है। भले ही नए प्रकाशक की पुस्तक बहुत ही उम्दा स्तर की हो, उसे पढ़ने कि इच्छा अँग्रेज़ी में पढ़ कर ही पूरी करनी पड़ती है।
पिछले कुछ वर्षों में कुछ और प्रकाशकों ने अपनी अँग्रेज़ी की पुस्तकों को हिंदी में निकालने का प्रयत्न किया। परंतु उन्होंने अपने इस प्रयत्न से हिंदी कॉमिक्स जगत को नुकसान ही पहुँचाया। मैंने इरिथ और लेवल 10 की कुछ कॉमिक्स हिंदी में खरीदी, पर बहुत ही निराशा हाथ लगी। वह हिंदी की कॉमिक्स नहीं, परंतु साधारण सा अनुवाद था, जिसकी गुणवत्ता बहुत ही खराब थी। फिर शायद मूल्य कम रखने हेतु कॉमिक्स की रूप-सज्जा भी बहुत कमज़ोर रखी गई थी। इनको देखने के पश्चात जब याली ड्रीम्स ने अपने पाठकों को सूचित किया की वह अपनी ग्राफिक नॉवेल कारवाँ को हिंदी में लाने का प्रयास कर रहे है, मुझे कुछ उत्सुकता नहीं हुई। कारवाँ अँग्रेज़ी में बहुत पसंद की गयी थी, और उसके बाद 3 और किताबें आ चुकी है, जो उसकी कहानी को आगे ले जा रही है। मुझे इसके हिंदी अंक से कुछ खास उम्मीदें नहीं थी। परंतु हिंदी में प्रकाशित होने पर लोभ वश खरीद ही लिया। जब पुस्तक आई तो फिर से एक झटका लगा। अँग्रेज़ी वाली कारवाँ एक साधारण कॉमिक्स जितनी बड़ी थी, लगभग ए4 जैसे कागज के बराबर। परंतु यह हिंदी विशेषांक छोटा था। कुछ वर्षों पहले प्रकाशित गोथम कॉमिक्स से तनिक बड़ा। फिर उसे पढ़ना शुरू किया।
बस, यही पर मैं खो गया। पहले पन्ने से लेकर आख़िरी पन्ने तक एक बार में पढ़ डाला। ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो एक हॉरर फिल्म देख रहा हूँ। किसी भी पन्ने पर यह नहीं लगा कि मैंने पहले यह कहानी पढ़ी है। पूरी पुस्तक समाप्त करने के पश्चात एक संतोष भरी मुस्कुराहट थी मेरे होठों पर। इस बार अनुवाद नहीं, हिंदी की ग्राफिक नॉवेल पढ़ने को मिली थी। अँग्रेज़ी में आप किरदार से संवाद तो कहलवा लोगे, पर जो देसी बात करने का अंदाज़ होता है, वह अँग्रेज़ी में नहीं आ पाता। यहाँ पर याली ड्रीम्स प्रशंसा के पात्र है, जिन्होंनें अनुवाद करने की बजाय नए संवाद लिखवाएँ है। अर्थ वही निकलता है, पर शब्दों का चयन अलग है। संवाद के लिए फॉन्ट और बबल्ल्स भी एकदम सटीक रूप से इस्तेमाल किए गए है। इन सबको देखने के बाद, इसे अनुवादित कहना ठीक नहीं है। यह काफी हद तक हिंदी रूपांतरण की श्रेणी में आती है। स्वप्निल सिंह एवं विभव पाण्डेय ने इसका अनुवाद किया है, और दोनों ही बधाई के पात्र है इस उच्च कोटी ने रूपांतरण के लिए। भाषा शैली संवाद पर अपना प्रभाव छोड़ जाती है। यहाँ पर हरियाणवी एवं गोरखपुरी भाषा का प्रयोग पाठकों को सही मायने में हिंदी कॉमिक्स पढ़ने का मज़ा देती है। यदि सिर्फ सटीक हिंदी का उपयोग किया गया होता तो शायद यह एक अनुवाद बन कर रह जाता। पर अलग अलग किरदार से अलग अलग भाषा शैली का प्रयोग ना सिर्फ पढ़ने में आनंद देता है, परंतु उनके किरदार को अलग रूप प्रदान करता है। साथ ही ऐसे संवाद कहानी को अपने मूल अँग्रेज़ी संस्करण से अलग करते है। फिर संवाद भी ऐसे है की पढ़ कर मज़ा आ जाये। “हमको बनाने की कोशिश मत करो चाचा। मत भूलों कि हम भी गोरखपुर से ही है, जहाँ बच्चे गोली चलाना पहले सीखते है और मूतना बाद में।"
तरणी त्रिपाठी ने शब्दांकन भी ध्यान में रख कर किया है, जिससे यह जबरदस्ती समायोजित किए हुए शब्द नहीं लग कर हिंदी में बनाई गई कॉमिक्स लगती है। कुल मिला कर यह एक रूपांतरण है, अनुवाद नहीं, और यही हिंदी पाठकों के लिए ख़ुशख़बरी है। यह एक ईमानदार कोशिश है हिंदी में कॉमिक्स लाने की, ना कि अँग्रेज़ी की कॉमिक्स को जैसे तैसे हिंदी में प्रकाशित कर पैसे कमाने की। और प्रकाशक अपनी इस कोशिश में सफल हुए है। मुझे यह कॉमिक्स अपनी असल, अँग्रेज़ी वाली कारवाँ से अधिक पसंद आई।
जिन लोगो ने अँग्रेज़ी वाली कारवाँ नहीं पढ़ी है, उनके लिए कहानी का हल्का सा आभास दे देता हूँ। कहानी एक रक्त पिशाचों के समूह की है, जो नौटंकी का वेश धरे बंजारो की तरह घूमते रहते है, और रास्ते में किसी गाँव में रुक कर अपने नाच गाने से लोगो का मनोरंजन कर, उनका खून पी जाते है। एक गाँव में उनके हमले के बाद एक बच्चा आरिफ़ बच जाता है। वह बड़े होकर तस्करी के जुर्म में पुलिस ऑफिसर जय के चुंगल में आ जाता है। जय उसे गिरफ़्तार करके ले जाते वक़्त एक रेगिस्तान में फँस जाता है। वहाँ पर दोनों सीमा सुरक्षा बल के खेमे में आश्रय लेते है। फिर वहाँ पर आगमन होता है इन बंजारो का। कहानी इन पिशाचों एवं सीमा सुरक्षा बल के प्रभारी भैरो सिंह, उसकी भतीजी दुर्गा, जय, आरिफ़ और सिपाहियों की है। पिशाच अपनी भूख मिटाना चाहते है, और उसके लिए भैरो सिंह एवं बाकी सभी को मारना पड़ेगा। पर क्या इन लोगो को मारना इतना आसान है? इस बार मुक़ाबले पर सीधे साधे गाँव वाले नहीं, बल्कि सीमा सुरक्षा बल और पुलिस के जवान है। कहानी में आगे क्या होता है, इसके लिए आप इसे पढ़े तो ही बेहतर होगा।
शमिक दासगुप्ता की लेखनी के बारे में कुछ कहने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि अधिकांश पाठक उनकी लेखनी के कायल है। पर यह अवश्य कहना चाहूँगा कि कारवाँ उनकी बेहतरीन रचनाओं में से एक है। कहानी में कहीं भी रुकावट नहीं है, घटनाएँ बहुत तेज़ी से घटित होती है। और साथ में विकाश सत्पथी का चित्रांकन, विश्वनाथ मनोकरन एवं नवल धनावाला की रंग सज्जा भी ऐसी बनी है, जैसे कोई बॉलीवुड फ़िल्म देख रहे हो। दरअसल यह पूरी कॉमिक्स आपको एक हिंदी हॉरर फ़िल्म जैसा आनंद देती है। लेकिन वह सस्ती वाली हॉरर फ़िल्म नहीं, एक अच्छी हॉरर फ़िल्म, जिसमे हॉट मसाला है, तीखे डायलॉग है और साथ में कहानी में ट्विस्ट है। अंत में नए बनाए गए दो पन्ने इस कहानी में एक अलग ट्विस्ट लाते है। जिन्होंनें कारवाँ ब्लड वार पढ़ी है, वह उस ट्विस्ट को समझ पाएँगे। नए पाठकों के लिए भी वह ट्विस्ट कहानी का एक हिस्सा ही है।
जैसे की प्रत्येक वस्तु में कुछ न कुछ कमी तो होती ही है, इसमें भी कहीं कहीं हल्की फुल्की गलतियाँ है, पर जब आप कहानी को पढ़ रहे होते हो, तब उसकी तेज़ रफ़्तार, चित्रों के चटकदार रंग एवं कटीले संवादों में आप उन छोटी गलतियों को नहीं देख पाते। मैंने इस लेख को लिखने के लिए इसे 2-3 बार पढ़ा, खुर्दबीनी निगाहों से देखा, इसके अँग्रेज़ी संस्करण से तुलनात्मक ढंग से परखा तो गलतियाँ निकलनी ही थी। पर यदि एक साधारण पाठक की नजर से देखें तो कुछ गलती नहीं है इस कॉमिक्स में।
अंत में मैं यहाँ पर दो बातें रखना चाहता हूँ। पहली बात अन्य प्रकाशकों से, यदि आप लोग भी अपने कॉमिक्स को हिंदी में लाना चाहते है, तो कृपया उसका रूपांतरण करे। अनुवादित संस्करण एक तरह से डब फ़िल्मों की तरह होते है, आपको संपूर्ण आनंद नहीं मिल पाता। आप एक एक पन्ने देखे अँग्रेज़ी और हिंदी वाली कारवाँ की, आपको यह साफ़ दिखेगा की कैसे एक ही रेखांकन एवं रंग सज्जा के बावजूद दोनों अलग अलग दिखती है। यही बात है जो हिंदी के पाठक को अपनी और खिंचेंगी, ना कि अँग्रेज़ी वाले स्पीच बबल्स में जबरदस्ती ठूँसे हुए, जैसे तैसे निपटाए हुए अनुवादित संवाद वाली कॉमिक्स, जिसके फॉन्ट कहीं बड़े तो कहीं छोटे हो जाते है। यदि आपको अपनी कॉमिक्स हिंदी में लानी है, तो लाए, पर याली की तरह लाए।
दूसरी बात सभी हिंदी कॉमिक्स प्रेमियों के लिए, इस कॉमिक्स को खरीदे, इसे पढ़े, आनंद ले, एवं अपने सभी कॉमिक्स प्रेमी बंधुओं को इसके बारे में बताए। याली ड्रीम्स ने एक बेहतरीन कोशिश की है, हिंदी में कदम रखने की। उनका यह कदम प्रशंसनीय है, पर प्रयोगात्मक भी है। उन्होंने उन सभी सर्वेक्षणों को दरकिनार किया है जो यह दावा करते है कि हिंदी में महँगी कॉमिक्स नहीं बिकती उन्होंने एक कदम उठाया है यह दिखाने के लिए कि हिंदी में अच्छी कॉमिक्स बिकती है, यदि वह अपने मूल्य के मुताबिक गुणवत्ता प्रदान करे। अब यहाँ हमारी बारी है, उस प्रयास को सफल करने की। ताकि याली ही नहीं अन्य प्रकाशक भी हिंदी की और रुख करे।
यह ग्राफिक नॉवेल आप लोग इन लिंक के सहारे खरीद सकते है। यदि लिंक ना चले तो उन ऑनलाइन साइट (अमेज़ॅन, डोर डील्स, फ्लिपकार्ट ) पर जाकर इसके लिए सर्च कर लीजिएगा। यह राज कॉमिक्स के स्टोर पर भी उपलब्ध है, परंतु मेरे पास डाइरैक्ट लिंक नहीं है।
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याली के बारे मे अधिक जानकारी के लिए उनके फेसबुक पेज पर जाएँ।
ऐसा नहीं है कि हिंदी में कॉमिक्स एकदम प्रकाशित नहीं होती। राज कॉमिक्स आज भी हिंदी में कॉमिक प्रकाशित करते है। परंतु उनके किरदार पहले से स्थापित है। सुपर हीरो है। उनका पाठक वर्ग बना हुआ है। और सबसे बड़ी बात, उनके पास अपनी किताबों को हर जगह पहुँचाने की सुविधा भी है। पर बस एक ही प्रकाशक है, पाठकों के पास कोई और विकल्प नहीं है। भले ही नए प्रकाशक की पुस्तक बहुत ही उम्दा स्तर की हो, उसे पढ़ने कि इच्छा अँग्रेज़ी में पढ़ कर ही पूरी करनी पड़ती है।
पिछले कुछ वर्षों में कुछ और प्रकाशकों ने अपनी अँग्रेज़ी की पुस्तकों को हिंदी में निकालने का प्रयत्न किया। परंतु उन्होंने अपने इस प्रयत्न से हिंदी कॉमिक्स जगत को नुकसान ही पहुँचाया। मैंने इरिथ और लेवल 10 की कुछ कॉमिक्स हिंदी में खरीदी, पर बहुत ही निराशा हाथ लगी। वह हिंदी की कॉमिक्स नहीं, परंतु साधारण सा अनुवाद था, जिसकी गुणवत्ता बहुत ही खराब थी। फिर शायद मूल्य कम रखने हेतु कॉमिक्स की रूप-सज्जा भी बहुत कमज़ोर रखी गई थी। इनको देखने के पश्चात जब याली ड्रीम्स ने अपने पाठकों को सूचित किया की वह अपनी ग्राफिक नॉवेल कारवाँ को हिंदी में लाने का प्रयास कर रहे है, मुझे कुछ उत्सुकता नहीं हुई। कारवाँ अँग्रेज़ी में बहुत पसंद की गयी थी, और उसके बाद 3 और किताबें आ चुकी है, जो उसकी कहानी को आगे ले जा रही है। मुझे इसके हिंदी अंक से कुछ खास उम्मीदें नहीं थी। परंतु हिंदी में प्रकाशित होने पर लोभ वश खरीद ही लिया। जब पुस्तक आई तो फिर से एक झटका लगा। अँग्रेज़ी वाली कारवाँ एक साधारण कॉमिक्स जितनी बड़ी थी, लगभग ए4 जैसे कागज के बराबर। परंतु यह हिंदी विशेषांक छोटा था। कुछ वर्षों पहले प्रकाशित गोथम कॉमिक्स से तनिक बड़ा। फिर उसे पढ़ना शुरू किया।
अँग्रेजी और हिन्दी की कारवाँ के साथ गाथम कॉमिक्स आकार की तुलना के लिए |
बस, यही पर मैं खो गया। पहले पन्ने से लेकर आख़िरी पन्ने तक एक बार में पढ़ डाला। ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो एक हॉरर फिल्म देख रहा हूँ। किसी भी पन्ने पर यह नहीं लगा कि मैंने पहले यह कहानी पढ़ी है। पूरी पुस्तक समाप्त करने के पश्चात एक संतोष भरी मुस्कुराहट थी मेरे होठों पर। इस बार अनुवाद नहीं, हिंदी की ग्राफिक नॉवेल पढ़ने को मिली थी। अँग्रेज़ी में आप किरदार से संवाद तो कहलवा लोगे, पर जो देसी बात करने का अंदाज़ होता है, वह अँग्रेज़ी में नहीं आ पाता। यहाँ पर याली ड्रीम्स प्रशंसा के पात्र है, जिन्होंनें अनुवाद करने की बजाय नए संवाद लिखवाएँ है। अर्थ वही निकलता है, पर शब्दों का चयन अलग है। संवाद के लिए फॉन्ट और बबल्ल्स भी एकदम सटीक रूप से इस्तेमाल किए गए है। इन सबको देखने के बाद, इसे अनुवादित कहना ठीक नहीं है। यह काफी हद तक हिंदी रूपांतरण की श्रेणी में आती है। स्वप्निल सिंह एवं विभव पाण्डेय ने इसका अनुवाद किया है, और दोनों ही बधाई के पात्र है इस उच्च कोटी ने रूपांतरण के लिए। भाषा शैली संवाद पर अपना प्रभाव छोड़ जाती है। यहाँ पर हरियाणवी एवं गोरखपुरी भाषा का प्रयोग पाठकों को सही मायने में हिंदी कॉमिक्स पढ़ने का मज़ा देती है। यदि सिर्फ सटीक हिंदी का उपयोग किया गया होता तो शायद यह एक अनुवाद बन कर रह जाता। पर अलग अलग किरदार से अलग अलग भाषा शैली का प्रयोग ना सिर्फ पढ़ने में आनंद देता है, परंतु उनके किरदार को अलग रूप प्रदान करता है। साथ ही ऐसे संवाद कहानी को अपने मूल अँग्रेज़ी संस्करण से अलग करते है। फिर संवाद भी ऐसे है की पढ़ कर मज़ा आ जाये। “हमको बनाने की कोशिश मत करो चाचा। मत भूलों कि हम भी गोरखपुर से ही है, जहाँ बच्चे गोली चलाना पहले सीखते है और मूतना बाद में।"
हिंदी मे संवाद लिखे गए है, अनुवादित नहीं किए गए |
सिर्फ शब्द ही नहीं, स्पीच बबल्ल्स भी बदले गए हैं संवादो के अनुसार |
जिन लोगो ने अँग्रेज़ी वाली कारवाँ नहीं पढ़ी है, उनके लिए कहानी का हल्का सा आभास दे देता हूँ। कहानी एक रक्त पिशाचों के समूह की है, जो नौटंकी का वेश धरे बंजारो की तरह घूमते रहते है, और रास्ते में किसी गाँव में रुक कर अपने नाच गाने से लोगो का मनोरंजन कर, उनका खून पी जाते है। एक गाँव में उनके हमले के बाद एक बच्चा आरिफ़ बच जाता है। वह बड़े होकर तस्करी के जुर्म में पुलिस ऑफिसर जय के चुंगल में आ जाता है। जय उसे गिरफ़्तार करके ले जाते वक़्त एक रेगिस्तान में फँस जाता है। वहाँ पर दोनों सीमा सुरक्षा बल के खेमे में आश्रय लेते है। फिर वहाँ पर आगमन होता है इन बंजारो का। कहानी इन पिशाचों एवं सीमा सुरक्षा बल के प्रभारी भैरो सिंह, उसकी भतीजी दुर्गा, जय, आरिफ़ और सिपाहियों की है। पिशाच अपनी भूख मिटाना चाहते है, और उसके लिए भैरो सिंह एवं बाकी सभी को मारना पड़ेगा। पर क्या इन लोगो को मारना इतना आसान है? इस बार मुक़ाबले पर सीधे साधे गाँव वाले नहीं, बल्कि सीमा सुरक्षा बल और पुलिस के जवान है। कहानी में आगे क्या होता है, इसके लिए आप इसे पढ़े तो ही बेहतर होगा।
शमिक दासगुप्ता की लेखनी के बारे में कुछ कहने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि अधिकांश पाठक उनकी लेखनी के कायल है। पर यह अवश्य कहना चाहूँगा कि कारवाँ उनकी बेहतरीन रचनाओं में से एक है। कहानी में कहीं भी रुकावट नहीं है, घटनाएँ बहुत तेज़ी से घटित होती है। और साथ में विकाश सत्पथी का चित्रांकन, विश्वनाथ मनोकरन एवं नवल धनावाला की रंग सज्जा भी ऐसी बनी है, जैसे कोई बॉलीवुड फ़िल्म देख रहे हो। दरअसल यह पूरी कॉमिक्स आपको एक हिंदी हॉरर फ़िल्म जैसा आनंद देती है। लेकिन वह सस्ती वाली हॉरर फ़िल्म नहीं, एक अच्छी हॉरर फ़िल्म, जिसमे हॉट मसाला है, तीखे डायलॉग है और साथ में कहानी में ट्विस्ट है। अंत में नए बनाए गए दो पन्ने इस कहानी में एक अलग ट्विस्ट लाते है। जिन्होंनें कारवाँ ब्लड वार पढ़ी है, वह उस ट्विस्ट को समझ पाएँगे। नए पाठकों के लिए भी वह ट्विस्ट कहानी का एक हिस्सा ही है।
जैसे की प्रत्येक वस्तु में कुछ न कुछ कमी तो होती ही है, इसमें भी कहीं कहीं हल्की फुल्की गलतियाँ है, पर जब आप कहानी को पढ़ रहे होते हो, तब उसकी तेज़ रफ़्तार, चित्रों के चटकदार रंग एवं कटीले संवादों में आप उन छोटी गलतियों को नहीं देख पाते। मैंने इस लेख को लिखने के लिए इसे 2-3 बार पढ़ा, खुर्दबीनी निगाहों से देखा, इसके अँग्रेज़ी संस्करण से तुलनात्मक ढंग से परखा तो गलतियाँ निकलनी ही थी। पर यदि एक साधारण पाठक की नजर से देखें तो कुछ गलती नहीं है इस कॉमिक्स में।
डोर डील्स पर इसके साथ बेट्मन वाला कार्ड भी मुफ्त मे दे रहे है। |
अंत में मैं यहाँ पर दो बातें रखना चाहता हूँ। पहली बात अन्य प्रकाशकों से, यदि आप लोग भी अपने कॉमिक्स को हिंदी में लाना चाहते है, तो कृपया उसका रूपांतरण करे। अनुवादित संस्करण एक तरह से डब फ़िल्मों की तरह होते है, आपको संपूर्ण आनंद नहीं मिल पाता। आप एक एक पन्ने देखे अँग्रेज़ी और हिंदी वाली कारवाँ की, आपको यह साफ़ दिखेगा की कैसे एक ही रेखांकन एवं रंग सज्जा के बावजूद दोनों अलग अलग दिखती है। यही बात है जो हिंदी के पाठक को अपनी और खिंचेंगी, ना कि अँग्रेज़ी वाले स्पीच बबल्स में जबरदस्ती ठूँसे हुए, जैसे तैसे निपटाए हुए अनुवादित संवाद वाली कॉमिक्स, जिसके फॉन्ट कहीं बड़े तो कहीं छोटे हो जाते है। यदि आपको अपनी कॉमिक्स हिंदी में लानी है, तो लाए, पर याली की तरह लाए।
दूसरी बात सभी हिंदी कॉमिक्स प्रेमियों के लिए, इस कॉमिक्स को खरीदे, इसे पढ़े, आनंद ले, एवं अपने सभी कॉमिक्स प्रेमी बंधुओं को इसके बारे में बताए। याली ड्रीम्स ने एक बेहतरीन कोशिश की है, हिंदी में कदम रखने की। उनका यह कदम प्रशंसनीय है, पर प्रयोगात्मक भी है। उन्होंने उन सभी सर्वेक्षणों को दरकिनार किया है जो यह दावा करते है कि हिंदी में महँगी कॉमिक्स नहीं बिकती उन्होंने एक कदम उठाया है यह दिखाने के लिए कि हिंदी में अच्छी कॉमिक्स बिकती है, यदि वह अपने मूल्य के मुताबिक गुणवत्ता प्रदान करे। अब यहाँ हमारी बारी है, उस प्रयास को सफल करने की। ताकि याली ही नहीं अन्य प्रकाशक भी हिंदी की और रुख करे।
यह ग्राफिक नॉवेल आप लोग इन लिंक के सहारे खरीद सकते है। यदि लिंक ना चले तो उन ऑनलाइन साइट (अमेज़ॅन, डोर डील्स, फ्लिपकार्ट ) पर जाकर इसके लिए सर्च कर लीजिएगा। यह राज कॉमिक्स के स्टोर पर भी उपलब्ध है, परंतु मेरे पास डाइरैक्ट लिंक नहीं है।
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याली के बारे मे अधिक जानकारी के लिए उनके फेसबुक पेज पर जाएँ।
Comments
shayad ye galat ho.
lekin main google pe dhund raha tha khali baitha hua
tab mujhe ek link mila jaha pe caravan hindi free me download ke liye mil rahi thi.
aaj ke daur me log 40 rs comics tak download karte hai
ye to 250 rs wali hai.
bas price ke mamle inhone bahot bada risk le liya hai.