आप सभी को नव वर्ष २०१५ की हार्दिक शुभकामनाएँ.
नव वर्ष के इस अवसर पर मैं अपना फेसबुक पेज तुशा आप लोगो के समक्ष रख रहा हूँ. मुझे लिखने का शौक़ हैं, परंतु कभी अपनी रचना को किसी के साथ साझा नहीं किया. गाहे बगाहे अपने ब्लॉग पर अपनी लिखी हुई कहानियाँ प्रेषित कर देता था. परंतु शायद ही किसी ने उन कहानियों को पढ़ा हो. गत वर्ष अक्टूबर के महीने में यह ख़याल आया की क्यों न फेसबुक पर एक पृष्ठ बनाया जाए, सिर्फ़ उन कहानियों के लिए. ब्लॉग पर तो कहानियों के अलावा और भी बहुत कुछ होता है. ऐसा प्रतीत हुआ की शायद मैं उन लिखे हुए शब्दों को राहत दूँगा, एक ऐसे मंच पर लाकर जहाँ बहुत से लोगो की पहुँच उन तक होगी. इससे पहले मुझे लगता था की शायद मेरा इस तरह से सभी के सामने उन कहानियों को लाना ठीक नहीं होगा. परंतु उन शब्दों में छिपे भावों को अगर मैं बंद रखता हूँ, तो यह उनके साथ अन्याय होगा. अपनी झिझक एवं शर्म को दरकिनार करते हुए यह फ़ैसला लिया गया की अब उन कहानियों को कैद में नहीं रखा जाएगा.
फिर क्या था, ३१ अक्टूबर २०१४ को फेसबुक पेज बन गया, और अगले २ महीनों में कुछ कहानियाँ भी डाल दी गयी. उस पेज को कल तक प्रकाशित नहीं किया था. आज १ जनवरी २०१५ को मैंने उस पेज को प्रकाशित यानी पब्लिश कर दिया. अब आप लोगो के समक्ष उसे रखते वक़्त यही उम्मीद कर रहा हूँ की आप इसपर लिखी मेरी छोटी छोटी कहानियों को पढ़ेंगे एवं मेरी गलतियाँ इंगित कर, मेरा मार्गदर्शन करेंगे.
मैं स्वयं को लेखक समझने की नादानी नहीं करता. मुझे अपनी औकात पता है. बस कभी कभी अपने अंदर घुमड़ते विचारों को शब्दों का जाल बुनकर कागज़ पर उकेरने की कोशिश करता हु. पता नहीं क्यों, उन विचारों को शब्दों का जामा पहनाने के बाद एक सुकून का अनुभव होता है. बस यही एक कारण है मेरे लिखने का. कृपया मुझे लेखक समझने की भूल ना करे. परंतु साथ ही साथ मैं यह भी चाहूँगा की मेरी कमियों को उजागर करे, ताकि मैं उन्हें सुधारने का प्रयत्न करूँ. मैं ना लेखक हूँ ना ही लेखन मेरा कारोबार है. यह मेरे लिए एक आनंद की अनुभूति है. और मैं चाहूँगा की अपनी उस अनुभूति को मैं और भी परिष्कृत करूँ. इस कार्य में आप सभी का योगदान चाहिए. मैं जानता हु की मैं आपसे एक बहुत ही मूल्यवान वास्तु मांग रहा हूँ, मैं आपका बेशकीमती समय मांग रहा हूँ. परंतु मुझे पूर्ण विश्वास है की आप लोग अपने समय के कुछ पल इस पृष्ठ को देंगे एवं मुझे अपने विचारों से अवगत कराएँगे.
यदि आप इस पृष्ठ अथवा पेज पर प्रकाशित की गयी कहानियों को नियमित रूप से अपने फेसबुक में देखना चाहते है तो आपको इसे Like यानि पसंद करना होगा. चिंता ना करे, Like पर क्लिक करने का मतलब यह नहीं होता की आपको मेरी कहानियाँ पसंद आ गयी है. बल्कि उसका मतलब होता है की आप इस पेज पर प्रेषित कहानियों का अपडेट नियमित रूप से पाना चाहते है. जब भी कोई नयी कहानी प्रकाशित होगी, आपको उसकी सूचना मिल जाएगी. उम्मीद है की आप लोग इस पेज को Like करेंगे, एवं मेरी लेखनी की कमियाँ इंगित कर मेरे मदद करेंगे.
आख़िर में जाते जाते एक और बात बताना चाहता हु. इस पृष्ठ पर प्रकाशित होने वाली कहानियों का अंतराल तनिक लंबा होगा. अपने धनोपार्जन के पश्चात और अन्य घरेलू तथा निजी कार्यो के बाद ही कहानियाँ लिख पाने का अवसर मिलता है. और फिर वैसे विचार भी तो मस्तिष्क में आने चाहिए जिन्हें मैं शब्दों का जामा पहना कर सजा सवार कर एक कहानी का रूप दे सकूँ. इसलिए आप निश्चिंत रहे, इस पेज को Like करने से आपको कोई बहुत अधिक परेशानी का अनुभव नहीं होगा.
अब आइए आपको ले चलते है तुशा की ओर, जहाँ छोटी छोटी कहानियाँ आपका इंतज़ार कर रही है. हमारे जीवन के कुछ भावनाओं को अपने शब्दों में पिरोए हुए इन रचनाओं में आपको एक ऐसे संसार की झलक मिलेगी जो शायद आपके आस पास ही कहीं है. मुझे आपके सुझाओ का इंतज़ार रहेगा.
विनय कुमार पाण्डेय
१ जनवरी २०१५
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