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Showing posts from August, 2017

ठग महात्मा - Hindi short story

वह एक बहुत शातिर ठग था। अपनी ठगी से उसने बहुत घन-संपत्ति इकट्ठा कर ली थी। परंतु आखिरी ठगी के बिगड़ जाने की वजह से उसे अपना शहर छोड़ कर भागना पड़ा। वह एक दूसरे शहर में बिना पैसे और रहने की जगह के, मारा मारा फिर रहा था। एक दिन उसने एक सेठ को ग़रीबों में खाना बांटते हुए देखा। उसका ठगी वाला दिमाग फिर सक्रिय हो चला, और वह उन ग़रीबों से हटकर एक तरफ निर्लिप्त होकर बैठ गया। सेठ ने पहले तो उसे नज़रअंदाज़ किया, फिर जब सभी ग़रीबों में बांटने के पश्चात भी खाना बचा रह गया, तो उसके पास जाकर उसे देने की कोशिश की। मैले से एक चद्दर में अपने को लपेटे, उलझे बाल और बढ़ी हुई दाढ़ी में बैठा, सेठ को खाना देते देखकर उसने कहा, “तू बहुत गरीब है। और तुझे जो चाहिए वह सिर्फ मुट्ठी भर अनाज दान करने से नहीं मिलेगा। अपने पापों का प्रायश्चित्त कर, उसी में भलाई है।” सेठ अवाक रह गया। उसे यह समझ में नहीं आ रहा था, कि इस अजीब से दिखने वाले व्यक्ति को यह कैसे पता है कि वह किसी कारण से दान कर रहा है, और उसकी कोई अतृप्त इच्छा भी है। उसे लगा कि यह कोई बहुत पहुंचे हुए महात्मा है, जो उसके भाग्य से यहाँ उसे मिल गए है। उसने हा