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होलिका दहन (A short story in Hindi)

आप सभी को होली की हार्दिक शुभकामनाएं। इस अवसर पर एक छोटी सी कथा प्रस्तुत कर रहा हूँ, होलिका दहन, जिसमे कोशिश की है होलिका के अंतर्द्वंद्व की झलक प्रस्तुत करने की। उम्मीद है आप इसे पसंद करेंगे।  होलिका के मन में एक अंतर्द्वंद्व चल रहा था। आज उसे अपने वरदान का उपयोग करके एक बच्चे की हत्या करनी थी। और बच्चा भी कौन, उसका अपना भतीजा। बड़े भाई की आज्ञा का पालन करना उसका कर्तव्य था। परंतु क्या जो वो कह रहे थे, वह सही था? क्या प्रह्लाद को अपने प्रभु की वंदना करने का अधिकार नहीं मिलना चाहिए? स्वयं हिरण्यकश्यप ने भी तो ब्रह्मा की तपस्या की थी, अपने लिए अक्षय जीवन का वरदान लेने के लिए। फिर अगर प्रह्लाद विष्णु की उपासना करता है, तो इसमें गलत क्या है?  परंतु वह जानती थी कि अहंकार में  डूबे  उसके भाई को उचित अनुचित या तार्किक बात समझ में नहीं आएगी। उसे पता था कि यदि वह अपने भाई की आज्ञा का उलंघन करती है, तो उसके भाई के अहंकार को ठेस पहुँचेगी, एवं उसके क्रोध के प्रकोप से वह भी नहीं बचेगी।  होलिका ने एक निश्चय किया, उसने अपने हृदय को कठोर कर लिया था। अब उसे ...