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सिगरेट - Hindi short story

मैं एटीएम से पैसे निकाल कर अस्पताल की तरफ आ रहा था। अचानक रास्ते में एक व्यक्ति ने मुझे आवाज दी, "अंकल, अंकल" मैंने उसकी तरफ देखा, तो उसने गिड़गिड़ाती हुई आवाज में कहा, "मेरे को हफनी है, दवा के लिए 20 रुपये दे दो।" एक पल को मैं समझ नहीं पाया कि क्या कह रहा है, पर यंत्रवत मेरे मुंह से निकला, "दवा वाले से मांगो।" और मैं अपने रास्ते चल दिया। मैंने पलट कर देखा तक नहीं कि वह वही खड़ा है या आगे चला गया। चंद कदम चलने पर मेरे अंदर दबी हुई इंसानियत ने धीरे से आवाज दी, "15 रुपये की सिगरेट पीने वाला 20 रुपये दे ही सकता था। क्या पता उसे सच में जरूरत हो।" आधी सिगरेट अभी भी मेरे हाथ में जल रही थी। अपनी अंतरात्मा की उस बात से मेरे अंदर के उस व्यवहारिक इंसान को चोट पहुंची जिसने उसे पैसे देने से माना किया था। उस अंतर्द्वंद की वजह से सिगरेट अब कसैली लगने लगी थी। मेरे अंदर के व्यवहार कुशल चालाक व्यक्तित्व ने मेरी इंसानियत एवं अंतरात्मा से कहा, "बात 20 रुपये की नहीं, व्यवहार और समझदारी की थी। मुझे नहीं पता वह आदमी कौन था। मेरे पर्स में 40 हजार रुपए थे अस्...

मुआवजा (Compensation) - A short story

“आर्डर आर्डर”, कहते हुए जज ने चिड़िया से पूछा, “तुम्हारा वकील कौन है?”  “जी माई बाप, वकील करने की मेरी हैसियत नहीं है। इसलिए मैं खुद ही अपनी फरियाद रखना चाहती हूँ।“  “तुम चाहो तो कोर्ट तुम्हें एक वकील दे सकता है।“ “नहीं जज साहब, मुझे ऐसे वकील पर भरोसा नहीं होगा जो बिना किसी स्वार्थ के मेरे लिए मुकदमा लड़ेगा। ऐसा वकील ने यदि दूसरी तरफ से पैसे लेकर केस कमजोर कर दिया, तो मैं कहीं की नहीं रहूँगी।“ चिड़िया ने दृढ़ स्वर में कहा।  “तुम्हारे इस बेतुके इल्जाम पर मैं तुम्हें कोर्ट की अवमानना करने की सज़ा दे सकता हूँ, इसलिए मेरी कोर्ट में ऐसे बेहूदा इल्जाम लगाने से पहले सोच लेना। इसे अपनी पहली और आखिरी चेतावनी समझो।“ जज ने झल्लाए हुए शब्दों में कहा। शायद उसे चिड़िया की बात चुभ गई थी।  “जज साहब, जिस फरियाद को लेकर मैं यहाँ आई हूँ, वह सरकारी कर्मचारियों की लापरवाही और भ्रष्टाचार की वजह से हुआ है। इसलिए आप जिसे कोर्ट की अवमानना समझ रहे है, वह मेरे लिए सरकारी तंत्र पर अविश्वास है। यदि आप भी न्याय की जगह मुझे सज़ा देना चाहते है, तो दे दीजिए, पर मेरा अविश्वास फिर भ...

ठग महात्मा - Hindi short story

वह एक बहुत शातिर ठग था। अपनी ठगी से उसने बहुत घन-संपत्ति इकट्ठा कर ली थी। परंतु आखिरी ठगी के बिगड़ जाने की वजह से उसे अपना शहर छोड़ कर भागना पड़ा। वह एक दूसरे शहर में बिना पैसे और रहने की जगह के, मारा मारा फिर रहा था। एक दिन उसने एक सेठ को ग़रीबों में खाना बांटते हुए देखा। उसका ठगी वाला दिमाग फिर सक्रिय हो चला, और वह उन ग़रीबों से हटकर एक तरफ निर्लिप्त होकर बैठ गया। सेठ ने पहले तो उसे नज़रअंदाज़ किया, फिर जब सभी ग़रीबों में बांटने के पश्चात भी खाना बचा रह गया, तो उसके पास जाकर उसे देने की कोशिश की। मैले से एक चद्दर में अपने को लपेटे, उलझे बाल और बढ़ी हुई दाढ़ी में बैठा, सेठ को खाना देते देखकर उसने कहा, “तू बहुत गरीब है। और तुझे जो चाहिए वह सिर्फ मुट्ठी भर अनाज दान करने से नहीं मिलेगा। अपने पापों का प्रायश्चित्त कर, उसी में भलाई है।” सेठ अवाक रह गया। उसे यह समझ में नहीं आ रहा था, कि इस अजीब से दिखने वाले व्यक्ति को यह कैसे पता है कि वह किसी कारण से दान कर रहा है, और उसकी कोई अतृप्त इच्छा भी है। उसे लगा कि यह कोई बहुत पहुंचे हुए महात्मा है, जो उसके भाग्य से यहाँ उसे मिल गए है। उसने हा...

चीर हरण

“सखी, आज इतनी उदास क्यों बैठी हो?” कृष्ण ने द्रोपदी के समीप बैठते हुए प्रश्न किया।  “सखा, आप सर्वत्र ज्ञाता है, फिर भी क्यों पूछते है?”, दुखित स्वर में द्रोपदी ने उत्तर दिया। कृष्ण के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान दौड़ गई। उन्होंने अपने दोनों हाथों से द्रोपदी के चेहरे हो थामा और स्नेह पूर्वक कहा, “यदि बात करोगी तो शायद मन हल्का हो जाए, इसलिए पूछा है।” “आपको नहीं लगता की मृत्युलोक में आज भी औरतों को अपना सम्मान नहीं मिला है? आज भी उन्हें प्रताड़ित एवं अपमानित किया जाता है। पुरुष वर्ग आज भी या तो दुशाशन बनकर चीर हरण करता है, या फिर भीष्म पितामह की तरह चुप चाप देखता रहता है। मेरी रक्षा को तो आप आ गए थे, पर अब इन्हें कोई क्यों नहीं बचाता? क्या इनकी रक्षा आपका दायित्व नहीं है? क्या इतिहास में कृष्ण सिर्फ एक द्रोपदी की लाज बचाने के लिए याद किए जाएंगे? जबकि आज हजारों लाखों द्रोपदीयां अपनी लाज बचाने की नाकाम कोशिश कर रही है। हर दिन सकड़ों द्रोपदी चीर हरण का शिकार होती है। क्या जगत नारायण श्री कृष्ण का उनके प्रति कोई दायित्व नहीं है? क्या उनकी नियति में चीर हरण ही लिखा है?”, कहते कहते ...

अंतर्द्वंद

“मैं जा रही हूँ”, कहते हुए उसने उठने का उपक्रम किया। मैंने हिम्मत करके उसकी कलाई पकड़ ली। हमारे 2 वर्ष पुराने रिश्ते में मैंने पहली बार उसकी कलाई पकड़ी थी। वह एकबारगी चौक गई, और जल्दी से अपना हाथ छुड़ा लिया। “क्या करते हो? कोई देख लेगा तो?”, उसकी आवाज़ में स्पष्ट कंपन था।  “मुझे किसी की परवाह नहीं है। मैं तुम्हें इस तरह जाने नहीं दूंगा। चलो मेरे साथ कलकत्ता चलो।“ मैंने भी अपनी कांपती आवाज़ में कहा। ऊपर से मैं बहुत हिम्मत दिखा रहा था, परंतु अंदर ही अंदर एक द्वंद्व चल रहा था। कहा ले जाऊंगा? कैसे रखूँगा? मेरी तो अभी नौकरी भी नहीं लगी है। रहने को अपना घर भी नहीं है, गाव के कुछ लोगों के साथ बासा में रहने वाला उसे कहाँ रखूँगा। 

सुरक्षा भुगतान (Short story in Hindi)

एक  समय की बात हैं। एक राज्य में विदेश से एक व्यापारी आया। उसने राजा से वहाँ अपना व्यापार करने की अनुमति माँगी। राजा ने अनुमति दे दी एवं कहाँ कि उनके मंत्री इस राज्य में व्यापार करने के नियम बता देंगे। व्यापारी ने मंत्री से मुलाक़ात की एवं सभी नियम समझ लिए। उन नियमों के अलावा मंत्री ने उस व्यापारी को यह भी बता दिया था कि उस राज्य में व्यापार करने पर कुछ खास किस्म के कर देने पड़ेंगे, राजकीय अनुमति हेतु कर, उत्पादक गुणवत्ता जांच में पारित होने हेतु कर एवं सरकारी महकमों की अलग अलग किस्म की जांच से सुरक्षा हेतु कर। यह सभी कर अघोषित थे एवं बिना किसी रसीद के देने पड़ते थे। विदेशी व्यापारी ने सभी शर्तें मंज़र कर अपना व्यापार “निशाले” के नाम से शुरू किया। बहुत जल्दी ही उसका व्यापार चल निकला और लोग उसके बनाए उत्पादों को पसंद करने लगे। फिर वह व्यापारी विदेश से ही अपना यहाँ का व्यापार देखने लगा। यहाँ उसने कुछ अधिकारी नियुक्त कर दिये थे, जो उसके व्यापार की देखभाल करते थे। धीरे धीरे “निशाले” के नए नए उत्पाद बाज़ार में आने लगे, और लोगो में इन उत्पादों की प्रसिद्धि इतनी बढ़ गई ...

कारवाँ – ग्राफिक नॉवेल (हिंदी)

याली ड्रीम्स की अँग्रेजी में प्रकाशित और प्रशंसित ग्राफिक नॉवेल कारवाँ अब हिंदी में उपलब्ध हो गयी है। आजकल के सभी नए कॉमिक्‍स प्रकाशक अपनी किताबें अँग्रेजी में ही प्रकाशित करते है। यह उनकी विवशता है, क्योंकि नए प्रकाशक के पास उत्तम कहानी और चित्रांकन तो है, परंतु प्रकाशित पुस्तकों के वितरण का उपयुक्त साधन नहीं है। उन्हें कॉमिक कान या फिर ऑनलाइन स्‍टोर्स पर निर्भर रहना पड़ता है। फिर उत्तम श्रेणी की कहानी, कला एवं रूप-सज्जा देने पर पुस्तक का मूल्य भी अधिक होता है। हिंदी में पाठकों की संख्या तो है, परंतु अधिक पैसे खर्च करके नए प्रकाशक की कॉमिक्‍स लेने वाले पाठक कम है। ऊपर से बिना देखे, ऑनलाइन खरीदने वाले तो और भी कम है। ऐसे में अँग्रेजी के पाठक तुलनात्मक रूप से अधिक हैं। यही कारण है कि आज हरेक प्रकाशक अँग्रेजी में ही अपनी कॉमिक्‍स प्रकाशित कर रहा है। भले ही कहानियाँ शुद्ध देशी है, पर भाषा विदेशी है। यह एक विडंबना है, जिसे आज प्रकाशक और हिंदी पढ़ने वाले पाठक, दोनों को झेलना पड़ता है। ऐसा नहीं है कि हिंदी में कॉमिक्‍स एकदम प्रकाशित नहीं होती। राज कॉमिक्‍स आज भी हिंदी में कॉमिक प्रकाशि...

फाँसी (A short story in Hindi)

उसकी फाँसी की सज़ा तय हो चुकी थी। बीस वर्षों कि कानूनी ज़द्दोज़हद के पश्चात अब बचने की कोई उम्मीद नहीं थी। परसों उसे फाँसी होनी थी। आज उससे मिलने उसकी 21 साल की बेटी आ रही थी। आख़िरी बार वह उससे 3 साल पहले मिली थी, और आज तक उसके अपनी बेटी के कहे शब्द याद थे।  "आपने अपना रास्ता ख़ुद चुना है, और मेरे या माँ के बारे में सोचे बिना चुना है। आपका रास्ता आपको मुबारक हो। मुझे आपसे यह नहीं समझना है कि आपने 300 लोगो की जान किस वजह से ली है। मुझे नहीं लगता कि मैं आपकी वजह को समझ पाऊँगी। मुझे अपनी ज़िंदगी जीना है, और आपके नाम की वजह से मुझे हर जगह घृणा और दुत्कार का सामना करना पड़ा है। आज से मैं अपने आप को आपसे अलग कर रही हूँ। आपको जो सही लगा वह आपने किया, अब मुझे जो सही लग रहा है, वो मैं कर रही हूँ। मैंने आपसे सफ़ाई नहीं माँगी और मुझे आपको किसी तरह की सफ़ाई देने की जरूरत नहीं है। मेरा खुदा जानता है कि मैंने आपसे कितना प्यार किया है, कि मैं आपको बेगुनाह समझती रही हूँ। जब भी मुझे एक आतंकवादी के बेटी कहा जाता था, मैं आपके लिए लड़ी हूँ। पर अब और नहीं। मैं अपने खुदा से आपके लिए दुआ माँगूँग...

माँ (A short story in Hindi)

आज मेरे कलकत्ता प्रवास का आख़िरी दिन था। कल फिर ट्रेन पकड़ कर वापस मुंबई आना था और समान बांधने की तैयारी की जा रही थी। इस बार की छुट्टियों में और कुछ हुआ हो या नहीं, मुझे यह पता चल गया था कि मुझे शुगर और ब्लड प्रेशर दोनों है। अब दवाइयाँ शुरू हो चुकी थी और उम्र भर चलनी थी। माँ पिछले 3 घंटों से गायब थी। मैंने माना किया था कि इतनी दोपहर में कही जाने की जरूरत नहीं है। मैं मुंबई जा रहा था, वहाँ हर वह चीज़ मिलती है जो कलकत्ता में मिलती है। मैंने माँ को साफ़ कह दिया था की मैं समान नहीं बढ़ाऊँगा। फिर भी माँ कही बाहर निकाल गई थी। वह जानती थी कि यदि मुझे पता चला तो मैं जाने नहीं दूँगा, इसलिए चुप चाप बिना बताए चली गयी थी। इसी चक्कर में अपना मोबाइल भी नहीं ले गई थी। घर में सभी परेशान थे। मैं चिल्ला रहा था कि जो भी वो लाएगी बेकार जाएगा क्योंकि मैं कुछ भी ले जाने वाला नहीं हूँ। घर में सब मेरे गुस्से को जानते थे, इसलिए समझाने की कोशिश कर रहे थे। उनका कहना था कि माँ आख़िर माँ होती है, बस उस पर चिल्लाना मत। समान नहीं ले जाना है, मत ले जाओ, पर चिल्ला चिल्ली मत करना।  जब माँ आई तो मेरा गुस्सा ...

पच्चीस वर्ष बाद (Hindi Story)

आज सुबह की डाक से मिले पत्र ने मुझे चौंका दिया। पुरानी यादें ताज़ा हो गई।  मानस पटल पर चल-चित्र कि भाँति मेरे नागपुर में गुज़ारे दिन सामने आने लगे।  पच्चीस वर्ष पूर्व की वह सुबह जब चलती ट्रेन में मेरी उससे मुलाकात हुई। मेरी नई नई नौकरी लगी थी, और मैं कंपनी के काम से कुछ दिनों के लिए नागपुर जा रहा था। वह ट्रेन में बिलासपुर से नागपुर जाने के लिए चढ़ी थी। अचानक की हम दोनो में बातों का सिलसिला चल पड़ा और नागपुर तक का रास्ता बात करते करते ही कटा। हम नागपुर स्टेशन पर एक दूसरे का सामान लेकर इस तरह उतरे जैसे दोनो साथ साथ आए हो। मैं नागपुर पहली बार आया था, वह नागपुर में पढ़ती थी और उसे अपने होस्टल जाना था। उसने मुझे एक होटल तक पहुँचाया और अपने होस्टल चली गयी। जाते वक़्त फिर मिलने का आश्वासन था। मुझे आश्चर्य मिश्रित प्रसन्नता हो रही थी। अपनी किस्मत पर भरोसा नहीं कर पा रहा था। 

Hindi Magazines on Internet

I live in Singapore, and getting hindi magazines here are rare. You won't find any on stores. The only option is to ask someone who is going to India to get few for you. So, I decided to search on Internet for online editions of the mags available in India. To my surprise, there are none available! There are so many hindi magazines available on stand in India, but there are no online edition for any of them! I do not know why! But still, I manage to chart down a list of websites which publish magazines in Hindi, exclusive on Internet. I am yet to find any site which publish Detective or Thriller stories in Hindi, if anyone knows, pls do let me know. All I was able to find is Shahitya (Literature) in Hindi. So, the stories are entertaining, but not like the Novels we get on stall in India. Here is the list of all the hindi Magazines or should I say e-zines in Hindi: Abhivyakti - Classic Hindi Magazine Arts, Culture, and Philosophy of India Anyatha - A Literary effort by Frie...