“आप अपने प्रोफ़ाइल पर अपनी फोटो क्यों नहीं लगाते है?"
सुजाता अपनी सहेली की बात से डर गई थी। उसने अपनी खुद की कहानी बताई थी, कि कैसे उसे भी किसी अंजान व्यक्ति से सोशल मीडिया पर मित्रता हो गई थी, और बाद में उसने इसे ब्लैकमेल करने की कोशिश की थी। उसका घर उजड़ते उजड़ते रह गया था। उसके चाचा जी पुलिस में है, और उनकी वजह से वह उस ब्लैकमैलर के शिकंजे से बची थी।
आज तीन महीने से वह राहुल से ऑनलाइन बाते करती थी। दोनों ने एक दूसरे की तस्वीर भी नहीं देखी थी। बस मोबाइल पर लिख कर बातें होती रहती। शादी के 15 वर्ष बाद उसे कोई ऐसा मिला था जिसके साथ वह एक बार फिर दिल खोल कर बाते कर सकती थी। दोनों की पसंद एक जैसी थी, और जितना कुछ उन्होंने एक दूसरे को बताया था, उसके अनुसार दोनों की जिंदगी भी एक जैसी थी। शादी के बाद लगभग 3-4 वर्षों तक वह अपने पति मनोज के साथ बहुत खुश थी। दोनों एक दूसरे को बहुत प्यार करते थे, साथ घूमना फिरना, घंटों तक बाते करते रहना, एक दूसरे को अच्छे से समझना; ऐसा लगता था मानो दोनों एक दूसरे के पूरक है। पर बाद में पता नहीं किसकी नजर लग गई, मनोज धीरे धीरे अपनी नौकरी में व्यस्त होते चले गए। पहले तो सब अच्छा लगता था, मनोज का प्रमोशन, अधिक पगार, नया घर, गाड़ी, कपड़े, महंगे मोबाइल फोन, लैपटाप और पता नहीं क्या क्या। सब कुछ अच्छा चल रहा था। पर धीरे धीरे इस पैसे और प्रमोशन के चक्कर में मनोज कब इतना व्यस्त हो गए, पता ही नहीं चला। शायद वह खुद भी अपनी नई अमीरी का आनंद उठाने के चक्कर में इतनी व्यस्त हो गई थी, की उसका ध्यान ही नहीं गया।
समय काटने के लिए उसने सोशल नेटवर्क का सहारा लिया। इंटरनेट पर रुही के नाम से एक प्रोफ़ाइल बनाई, और अपने को उस अनजानी दुनिया में व्यस्त कर लिया, जहां सभी दोस्त बन जाते है, पर कोई किसी को नहीं जानता। अपनी पसंद के कुछ ग्रुप में वह अक्सर कुछ न कुछ लिखा करती थी। वही उसने राहुल की पोस्ट को देखा, और लगा की जैसे दोनों के सोचने का तरीका एक जैसा है। फिर क्या था, धीरे धीरे बाते ग्रुप की पोस्ट से हटकर प्राइवेट चाट तक पहुँच गई। पर अब सहेली के ब्लैकमेल वाली बात सुनकर उसे थोड़ा डर लगने लगा था। उसने सिर्फ बातें की थी, वह भी शालीनता के दायरे में रहकर। फिर भी पता नहीं क्यों, उसने आज तक मनोज को इस बारे में कुछ नहीं बताया। शायद एक अंजान सा भय था, कि कहीं मनोज कुछ गलत ना समझ बैठे। परंतु आज तीन महीने के बाद उसे ऐसा लग रहा था, कि यदि पहले ही बता देती तो अच्छा रहता। यदि आज पता चलेगा, तो ना जाने वह क्या सोचेंगे। अब तो उसे ऐसा लग रहा था, कि बस राहुल अपनी ब्लैकमेलिंग की डीमाण्ड रखने ही वाला है। वह यही सोच कर परेशान हो रही थी, कि यदि राहुल ने मनोज को सब कुछ बताने कि धमकी दी, तो वह क्या करेगी? उसने हिम्मत करके पूछ ही लिया, “आप अपने प्रोफ़ाइल पर अपनी फोटो क्यों नहीं लगाते है?”
“आप भी तो अपनी प्रोफ़ाइल पर खुद की तस्वीर नहीं लगाती है, शायद हम दोनों की वजह एक हो।”
जवाब सुनकर ना तो उसका डर दूर हुआ, ना ही जिज्ञासा मिटी। पर कुछ तो लिखना ही था, सो उसने फिर कोशिश की, “आपको नहीं लगता कि हम दोनों को एक दूसरे के बारे में और भी कुछ जान लेना चाहिए? हम महीनों से एक दूसरे को सिर्फ इंटरनेट के जरिये जानते है, बस एक नाम, और कुछ नहीं। हम यदि रास्ते में एक दूसरे के सामने से गुजरे तो पहचान भी नहीं पाएंगे।”
“रुही जी, हम दोनों अपनी अपनी जिंदगी में व्यस्त है, खुश भी है। पर कुछ है जिसकी कमी हमें यहाँ इंटरनेट पर ले आई। और हम एक दूसरे से बाते करके उस कमी को पूरा करते है। एक दूसरे के बारे में इससे अधिक जानने कि आवश्यकता है?”
राहुल शायद ठीक कह रहा था, पर मेरे अंदर एक वहम था, जिसकी वजह से मैं उसकी बात को पूरी तरह से समझ नहीं पाई। मैंने फिर कोशिश की, “क्या रिश्ता है हम दोनों का?”
“मित्रता का रिश्ता, सखा और सखी का रिश्ता। वह रिश्ता जो कृष्ण एवं द्रौपदी के बीच था।”
“मैं अपने इस कृष्ण का चेहरा देखना चाहती हूँ।”
“रुही जी, यदि आप यही चाहती है, तो मैं अपनी एक तस्वीर आपको भेज देता हूँ। पर इतना अवश्य याद रखिएगा, कि उस तस्वीर से मेरा व्यक्तित्व बदलेगा नहीं, बल्कि वही पहले जैसा रहेगा।”
राहुल ने एक तस्वीर भेज दी थी। वह तस्वीर धीरे धीरे डाउनलोड हो रही थी, तभी उसने एक और बात लिखी, “मेरा असली नाम मनोज है। लेकिन इसका यह अर्थ मत निकालिएगा कि मैं आपके नाम को नकली समझता हूँ, या फिर आपकी तस्वीर देखना चाहता हूँ। मेरे लिए मित्रता का यह रिश्ता जैसा है वैसा ही ठीक है।”
अब तक तस्वीर साफ हो गई थी, पर सुजाता को वह तस्वीर धुंधली दिख रही थी। उसकी आँखों से अविरल आँसू गिरे जा रहे थे। उसके सामने कोई और नहीं उसका अपना पति मनोज था। उसे आज अहसास हुआ, कि जैसे कई वर्षों से वह अकेलापन महसूस कर रही है, मनोज भी उसी स्थिति में है। उन दोनों में दूरी होने का कारण कुछ और नहीं, बल्कि दोनों का एक दूसरे कि ओर से पहल होने का इंतजार करना था। जैसे वह मनोज का इंतजार कर रही थी, वैसे ही मनोज उसका इंतजार कर रहे थे।
अब उसे पता था कि अपने उस 15 वर्ष पहले खोये पति और उन खुशियों को कैसे वापस पाना है। इधर मनोज ने और भी कुछ लिखा था, पर अपनी आँसू भरी आंखों से वह कुछ भी पढ़ नहीं पाई। वैसे भी अब समय आ गया था रुही को ऑफलाइन जाने का, और सुजाता को असल जिंदगी में ऑनलाइन आने का। अब रुही को राहुल से नहीं, बल्कि सुजाता को मनोज से बात करनी थी। और वह भी बिना किसी सोशल नेटवर्क की सहायता के। उसने मोबाइल बंद कर दिया। रुही ऑफलाइन हो चुकी थी।
- विनय पाण्डेय
८ मार्च २०१७
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