“आर्डर आर्डर”, कहते हुए जज ने चिड़िया से पूछा, “तुम्हारा वकील कौन है?” “जी माई बाप, वकील करने की मेरी हैसियत नहीं है। इसलिए मैं खुद ही अपनी फरियाद रखना चाहती हूँ।“ “तुम चाहो तो कोर्ट तुम्हें एक वकील दे सकता है।“ “नहीं जज साहब, मुझे ऐसे वकील पर भरोसा नहीं होगा जो बिना किसी स्वार्थ के मेरे लिए मुकदमा लड़ेगा। ऐसा वकील ने यदि दूसरी तरफ से पैसे लेकर केस कमजोर कर दिया, तो मैं कहीं की नहीं रहूँगी।“ चिड़िया ने दृढ़ स्वर में कहा। “तुम्हारे इस बेतुके इल्जाम पर मैं तुम्हें कोर्ट की अवमानना करने की सज़ा दे सकता हूँ, इसलिए मेरी कोर्ट में ऐसे बेहूदा इल्जाम लगाने से पहले सोच लेना। इसे अपनी पहली और आखिरी चेतावनी समझो।“ जज ने झल्लाए हुए शब्दों में कहा। शायद उसे चिड़िया की बात चुभ गई थी। “जज साहब, जिस फरियाद को लेकर मैं यहाँ आई हूँ, वह सरकारी कर्मचारियों की लापरवाही और भ्रष्टाचार की वजह से हुआ है। इसलिए आप जिसे कोर्ट की अवमानना समझ रहे है, वह मेरे लिए सरकारी तंत्र पर अविश्वास है। यदि आप भी न्याय की जगह मुझे सज़ा देना चाहते है, तो दे दीजिए, पर मेरा अविश्वास फिर भ...
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